पानी जीवन के लिए अनिवार्य
कौन नहीं जनता कि पानी प्रकृति की सबसे अनमोल धरोहर है। यह विश्वसृजन और उसके संचालन का आधार है। मानव संस्कृति का उद्गाता है। पानी जीवन के लिए अनिवार्य है। पानी के बिना जीव-जगत् के अस्तित्व और साँसों की यात्रा की कल्पना भी संभव नहीं है। फिर सभी लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है। खेती-किसानी की आशाएँ पानी के अभाव में धूमिल हो जाती हैं। नदियों का कलकल कब अवसाद में बदल जाएगा, कोई नहीं जानता ? जलाशयों का जीवन कब ठहर जाएगा, कह पाना मुश्किल है। पानी न मिलेगा तो परिंदों की उड़ान पर भी सवालिया निशान लग जाएगा। वैसे भी उड़ान के लिए पानी रखने की जरूरत को हम भुला बैठे हैं।
Who does not know that water is the most precious heritage of nature. It is the basis of world-creation and its operation. Man is the source of culture. Water is essential for life. Without water, it is not possible to imagine the existence of the living world and the travel of breath. Then not all people get clean water to drink. The hopes of agriculture get tarnished due to lack of water. No one knows when the rivers will turn into depression. It is difficult to say when the life of the reservoirs will stop. If water is not available, then the flight of birds will also be questioned. Anyway, we have forgotten the need to carry water for flight.
Water is Essential for Life | Arya Samaj Jabalpuar, 9300441615 | Arya Samaj Marriage Conductor for Jabalpur | Arya Samaj Shadi | Hindu Pandits Helpline Jabalpur | Marriage in Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Court Marriage | Arya Samaj Marriage Consultant Jabalpur | Arya Samaj Shadi Procedure Jabalpur | Hindu Wedding Helpline Jabalpur | Marriage Procedure of Arya Samaj | Arya Samaj Helpline Jabalpur | Arya Samaj Marriage Documents Jabalpur | Arya Samaj Temple Jabalpur | Indore Aarya Samaj | Marriage Service by Arya Samaj Jabalpur | Arya Samaj Hindu Temple | Arya Samaj Marriage Guidelines | Arya Samaj Vivah | Inter Caste Marriage | Marriage Service by Arya Samaj Mandir Jabalpur
परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...