व्यक्तित्व निर्माण
जीवन के सरल-सहज सूत्र सफलता के आधार हैं, जो इसकी गहरी एवं ठोस नींव तैयार करते हैं। व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया के साथ ऐसे में जीवन की सफलता का भव्य भवन रूपाकार लेता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति अपनी योग्यता का वर्द्धन एवं अपनी प्रतिभा का संवर्द्धन करता है और जब तक व्यक्ति शरीर व मन के आधार पर स्वास्थ्य नहीं है, संतुलित नहीं है तथा अपने कर्तव्यों का सम्यक पालन नहीं कर रहा है तो व्यक्तित्व निर्माण की यह प्रक्रिया सही ढंग से आगे नहीं बढ़ पाती और ऐसे में सफलता अधूरी ही रह जाती है।
Simple and simple formulas of life are the basis of success, which prepare its deep and solid foundation. Along with the process of personality formation, the grand building of life's success takes the form. Under this, a person enhances his abilities and enhances his talent and as long as the person is not healthy on the basis of body and mind, is not balanced and is not performing his duties properly, then this process of personality formation is done properly. It is not possible to move forward and in such a situation, success remains incomplete.
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परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...