जल ही जीवन है
हमारे पंचमहाभूत आपस में एकदूसरे से जुड़े हुए हैं। एक से दूसरे तत्व को समृद्ध व संतुलित किया जा सकता है, लेकिन इन पंचमहाभूतों में सबसे प्रमुख तत्व जल है। इसीलिए तो कहा गया है, जल ही जीवन है। जल नहीं तो जीवन नहीं। अन्य ग्रहों पर यदि जीवन की तलाश की जाती है, तो वहाँ पर जल की संभावना को ही सबसे पहले तलाशा जाता है। जल के समान ही दूसरा सबसे महत्वपूर्ण तत्व वायु है। इसीलिए जलवायु संरक्षण पर आज प्रमुख रूप से ध्यान दिया जा रहा है। वायु के बिना तो जीवन ही असंभव है। वायु में प्रदुषण का अर्थ हमारे जीवन में प्रदुषण से है।
Our Panchmahabhutas are intertwined with each other. One element can be enriched and balanced from one element to another, but the most important element among these Panchamahabhutas is water. That is why it is said that water is life. If there is no water, there is no life. If life is searched for on other planets, then the possibility of water there is the first to be explored. Like water, the second most important element is air. That is why climate protection is being given major attention today. Life is impossible without air. Pollution in air means pollution in our life.
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परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...