मृत्यु की ओर
तंबाकू में एक प्रकार का नहीं, चार प्रकार का विष पाया जाता है -निकोटीन, कोलटार, आर्सेनिक और कार्बन मोनोऑक्सीइड। अस्तु, उसका सेवन करने से इन विषयों का शरीर में पहुँचना स्वाभाविक ही है। विष मनुष्य के लिए प्रतिकूल तत्व है। उसका धर्म मनुष्य को अमृततत्व से मृत्यु की ओर बढ़ाना है। जिसका शरीर विषाक्त होगा; उसका मन विष रहित रह ही नहीं सकता; जिसका मन विषैला होगा, उसकी बुद्धि उलटी ही हो जाएगी। बुद्धि की विपरीतता से मनुष्य की नैतिक मृत्यु हो जाएगी। बुद्धि की विपरीतता से मनुष्य की नैतिक मृत्यु हो जाती है और वह अपराधों एवं अपकर्मों की ओर उन्मुख होने लगता है।
There are four types of toxins found in tobacco - nicotine, bitumen, arsenic and carbon monoxide. Therefore, it is natural for these subjects to reach the body by consuming it. Poison is an unfavorable element for human beings. His dharma is to lead man from immortality to death. whose body will be toxic; His mind cannot remain poison free; One whose mind is poisonous, his intellect will be turned upside down. Contradiction of intelligence will lead to moral death of man. Contrary to intellect leads to moral death of man and he starts turning towards crimes and wrongdoings.
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परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...