प्रश्न का समाधान
प्रश्न व्यक्ति एक अंतर्मन में उपजे हुए वे सवाल होते हैं, जिनका समाधान पाने के लिए व्यक्ति स्वयं उत्सुक, जिज्ञासु तो कभी-कभी परेशान भी होता है। मन में उपजे प्रश्न काँटे की तरह व्यक्ति को तब तक चुभते रहते हैं, जब तक कि प्रश्नों का उचित उत्तर उसे नहीं मिल जाता। व्यक्ति के अंदर कुछ नया जानने की इच्छा प्रश्न पैदा करती है। परिस्थिति व मनःस्थिति भी कई तरह के प्रश्नों को पैदा करती हैं। किसी भी तरह की समस्या हो तो वह भी प्रश्न के साथ सम्मुख खड़ी होती है और आगे बढ़ने का मार्ग अवरुद्ध करती है। प्रश्न का समाधान ही मानसिक शांति के मार्ग के अवरोधों को दूर करता है।
Questions are those questions arising in a person's inner self, to get the solution of which the person himself is curious, curious and sometimes even troubled. The questions arising in the mind keep pricking a person like a thorn until he gets the proper answer to the questions. The desire to know something new in the person raises questions. Circumstances and mood also give rise to many types of questions. If there is any kind of problem, it also stands in front of the question and blocks the way forward. The solution to the question removes the obstacles in the way of mental peace.
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परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...