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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चेरीताल जबलपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित जबलपुर में एकमात्र केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चेरीताल के अतिरिक्त जबलपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Cherital Jabalpur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Cherital Jabalpur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Jabalpur. We do not have any other branch or Centre in Jabalpur. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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सुकरात की शिक्षण शैली
सुकरात के शिक्षण की शैली यह थी कि वे छात्रों से प्रश्न पूछते थे। उत्तरों में यदि अभीष्ट ध्वनि न निकली तो दूसरा-तीसरा प्रश्न करते और उसे घसीटकर वहां ले जाते, जहाँ अपना मंतव्य था। इस प्रकार प्रश्न करने वाले को छात्र और उत्तर देने वाले को अध्यापक बनने का अवसर मिल जाता था। सीधा उपदेश बहुधा उपेक्षा में डाल दिया जाता है; किंतु यदि उसी उपदेश को प्रश्नोत्तर के माध्यम द्वारा दूसरे के मुख से कहलवा लिया जाए तो वह न केवल स्वयं स्वीकार कर लेता है, वरन दूसरों को भी वैसा ही करने के लिए जोर देने लगता है। विचार-परिवर्तन के ये सहज तरीके हैं।

Socrates' style of teaching was that he used to ask questions to the students. If the desired sound did not come out in the answers, then he would have asked the second-third question and dragged it to the place where it was its destination. In this way, the questioner got the opportunity to become the student and the answerer got the opportunity to become the teacher. Direct preaching is often thrown into disregard; But if the same instruction is spoken from the mouth of another by the medium of question and answer, then he not only accepts himself, but also starts insisting others to do the same. These are easy ways to change your mind.

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  • परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम

    परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...

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