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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चेरीताल जबलपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित जबलपुर में एकमात्र केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चेरीताल के अतिरिक्त जबलपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Cherital Jabalpur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Cherital Jabalpur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Jabalpur. We do not have any other branch or Centre in Jabalpur. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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प्रत्यक्षवाद 
पश्चिमी प्रत्यक्षवाद ने सत्य को इंद्रियों की सीमा में समेटने की जो बालहठ ठानी है - उसी के चलते वह आध्यात्मिक सत्यों को समझने में विफलप्राय हुआ है। सत्य की व्यापकता को भला सीमाबद्ध कैसे किया जा सकता है। एक गागर में भला समूचा सागर कैसे कैसे समा सकता है। जो अदृश्य सूक्ष्म एवं इंद्रियातीत है, वह स्थूल परिकरों में कैसे और किस तरह प्रकाशित हो ? प्लेटो के आदर्शवाद से लेकर मर्स्क के आदर्शवाद तक तत्वविद्या को अमान्य तो किया जा सकता है परंतु सच्चाई से भागा और बचा नहीं जा सकता। जब भी चिंतन या विचार अपने बारे में पूरी तरह से चैतन्य होता है तो वह अध्यात्म बन जाता है।

 

Western positivism has failed to understand spiritual truths because of its obstinate determination to confine truth to the limits of the senses. How can the generality of truth be limited? How can the whole ocean be contained in a jug? What is invisible, subtle and beyond the senses, how and in what way can it be published in gross circles? From Plato's idealism to Mersk's idealism, philosophy can be invalidated but truth cannot be run and avoided. Whenever contemplation or thought is fully conscious of itself, it becomes spiritual. 

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  • परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम

    परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...

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