कुविचार
कुविचार के कारण प्रायः लोग यह नहीं समझ पाते कि अपकर्मों में जो तात्कालिक लाभ अथवा आनंद दिखाई देता है, वह भविष्य के बहुत-से सुखों को नष्ट कर देता है। तात्कालिक लाभ के लोग पाप के आकर्षण नहीं रख पाते और उस ओर प्रेरित हो जाते हैं। सोच लेते हैं कि अभी जो आनंद मिल रहा है; उसे तो ले ही लें, भविष्य में जो होगा देखा जाएगा। इस प्रकार से वर्तमान पर भविष्य को बलिदान करने वाले व्यक्ति बुद्धिमान नहीं माने जा सकते।
Due to malpractices, people often do not understand that the immediate benefit or pleasure which is seen in bad deeds destroys many future pleasures. People of immediate benefit are not able to hold the attraction of sin and get motivated towards it. Think about the joy that you are getting now; Take it for granted, what will happen in future will be seen. Thus a person who sacrifices the future over the present cannot be considered intelligent.
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परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...