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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चेरीताल जबलपुर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित जबलपुर में एकमात्र केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र चेरीताल के अतिरिक्त जबलपुर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Cherital Jabalpur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Cherital Jabalpur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Jabalpur. We do not have any other branch or Centre in Jabalpur. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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मानवीय व्यक्तित्व
भाषा के खेल से हम मानवीय व्यक्तित्व के तीन आयामों को स्थूल, सूक्ष्म व कारणशरीर से जानते हैं। दोनों ही गुरूसत्ताओं का जीवन, इन तीनों शरीरों की आध्यात्मिक श्रेष्ठता का प्रतिक था। ये तीनों शरीर जब परिष्कृत होते है तो इन्हीं के पथ-क्रमशः कर्मयोग, ज्ञानयोग एवं भक्तियोग के नाम से पहचाने जाते हैं। किए जाने वाले कर्मों को निष्काम भाव से भगवद्सत्ता को अर्पित करके जीवन जीना कर्मयोग है तो सूक्ष्मशरीर द्वारा निष्पादित विचारों की श्रेष्ठता को ज्ञानयोग एवं इसी प्रकार कारणशरीर से जन्म ले रही भावनाओं का शिखर पर पहुँचना भक्तियोग के रूप में परिभषित किया जा सकता है।

 

Through the game of language, we know the three dimensions of human personality, gross, subtle and causal. The life of both the Gurus was a symbol of the spiritual superiority of these three bodies. When these three bodies are refined, their paths are known as Karmayoga, Jnanayoga and Bhaktiyoga respectively. Living life by surrendering the actions to be performed with selfless devotion to God is Karmayoga, then the superiority of the thoughts executed by the subtle body can be defined as Jnanayoga and similarly reaching the peak of the feelings born from the causal body can be defined as Bhaktiyoga.

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  • परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम

    परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...

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