स्वस्थ रहने के सूत्र
आयुर्वेद में स्वस्थ रहने के स्वर्णिंम सूत्र हैं। हमारे शरीर में वात, पित्त, कफ - ये तीन दोष हैं। सत्व, रज, तम - ये तीन गुण हैं। इन तीनों गुणों का प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है और इन तीन दोषों का प्रभाव हमारे तन पर पड़ता है। यदि हमारा मन रोगी है और इसके कारण शरीर भी रोगी बनता है और इन तीन दोषों का प्रभाव हमारे तन पर पड़ता है। यदि हमारा मन रोगी है तो यह मन को भी रोगी बनाता है। इस तरह शरीर और मन आपस में एकदूसरे से जुड़ हुए हैं और एकदूसरे को प्रभावित करते हैं।T
here are golden formulas for healthy living in Ayurveda. There are three doshas in our body – Vata, Pitta, Kapha. Sattva, Raja, Tama - these are the three gunas. These three qualities affect our mind and these three doshas affect our body. If our mind is sick and due to this the body also becomes sick and the effect of these three doshas falls on our body. If our mind is sick, it also makes the mind sick. In this way body and mind are intertwined and influence each other.
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परमात्मा के अनेक गुणवाचक नाम महर्षि दयानन्द ने ऋग्वेद के 7वें मंडल के 61वें सूक्त के दूसरे मंत्र तक और माध्यन्दिन शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सम्पूर्ण मंत्रों का भाष्य किया। उससे पूर्व उवट, महीधर और सायण इस का भाष्य कर चुके थे। उवट और महीधर के भाष्य मुख्य रूप से कात्यायन- श्रौतसूत्र में विनियोजित कर्मकाण्ड का अनुसरण करते हैं और सायण के भाष्य भी इसी...